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क्या आप मानसिक तनाव के शिकार है?…..तो इसे जरूर पढ़े

शारीरिक बीमारियों को जहां गंभीरता से देखा जाता है, वहां मानसिक तनाव या स्ट्रेस पे उतना ध्यान नहीं दिया जाता। मानसिक तनाव की ओर गंभीरता से देखने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह डिप्रेशन को जन्म देता है और कई तरह के मानसिक रोगों का भी कारण बन सकता है। यह। हमारी काम करने की क्षमता को कम कर देता है और हमारा किसी भी काम में मन नहीं लगता। हमें अपने आप पास की छोटी छोटी खुशियों का आभास नहीं होता और हम उन खुशियों का आनंद नहीं ले पाते। हमें ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे हमारे जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा और हम इस तनाव में और गहरे चले जाते हैं।

हमने बहुत से लोगों को ये कहते सुनते है कि मानसिक तनाव जैसी कोई चीज नहीं होती अर्थात ऐसे लोगों का मानना होता है कि ये सिर्फ वहम होता है या फिर वो तनाव को सिर्फ एक तरह का डाउन फेज मानते हैं। पर सच्चाई इसके विपरीत होती है। ये महज़ एक छोटा सा डाउन फेज नहीं होता बल्कि ज्यादा तनाव इंसान को ये तक महसूस करवा सकता है कि उसका जीवन अर्थहीन है या उसके जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता। हर साल बहुत से लोग मानसिक तनाव के चलते आत्म-हत्या जैसा भयानक कदम उठा लेते हैं और अपने जीवन को समाप्त कर लेते हैं। इसलिए ये बेहद आवश्यक है कि मानसिक तनाव को भी उसी गंभीरता से देखा जाए जितनी गंभीरता से हम शारीरिक बीमारियों को देखते हैं।

मानसिक तनाव के कुछ कारण :

1. नकारात्मक मानसिकता होना: कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो हर चीज को नकारात्मक नजरिए से देखते हैं जिसके कारण वो हर चीज में कमियां ढूंढते हैं और जीवन में कैसी भी स्थिति हो उन्हें ऐसा ही प्रतीत होता रहता है कि जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है जिसके कारण वो तनाव महसूस करते हैं और स्ट्रेस में रहते हैं।

2. अपनी खुशी के लिए दूसरों पर निर्भर होना : बहुत से व्यक्ति ऐसे होते हैं जो किसी चीज या व्यक्ति में अपनी खुशी ढूंढते हैं या फिर अच्छा समय व्यतीत करने के लिए वो किसी एक इंसान पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसे में वे उस इंसान से आवश्यकता से अधिक उम्मीदें लगा लेते हैं। और जब ये उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती हैं तो वो बेहद तनाव महसूस करते हैं। ऐसे व्यक्ति अपने आप में ही खुश रहना नहीं जानते।

3. जीवन में कुछ बड़े बदलाव आना : जीवन में आया कोई बड़ा बदलाव भी तनाव उत्पन्न कर सकता है। डाइवोर्स, किसी पारिवारिक मेंबर की मृत्यु इत्यादि ये ऐसी चीज़ें होती हैं जो मनुष्य को घोर मानसिक पीड़ा देती हैं और इस से जो स्ट्रेस होता है वो काफी लंबा चल सकता है और डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

4. स्थितियों पर काबू ना होना : एक इंसान के जीवन काल में बहुत सी घटनाएं घटती हैं। मनुष्य अपनी सूझ बूझ से हर स्थिति को अपने अनुकूल बनाने का प्रयत्न करता है और अपने वर्तमान और भविष्य को बेहतर बनाने की कोशिश में लगा रहता है। परंतु हर बार ऐसा नहीं होता है की इंसान जो चाहता है वैसा ही हो। बहुत बार ऐसी स्थितियां भी होती हैं जो हमारे प्रतिकूल होती हैं। जब मनुष्य को मनचाहे परिणाम नहीं मिलते हैं तो वो दुखी हो जाता है और तनाव या स्ट्रेस महसूस करता है।

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तनाव को हैंडल करने के कुछ तरीके

1. छोटी छोटी खुशियां ढूंढें: अक्सर इंसान बड़ी इच्छाओं के चलते ये भूल जाता है कि क्या बार छोटी छोटी चीजों से भी मन प्रसन्न हो जाता है। स्ट्रेस दूर करने का सबसे अच्छा तरीका यही है की इंसान हर एक छोटी खुशी का भी भरपूर आनंद ले।

2. जो है उसे देखें : अक्सर हम उन चीजों का ज्यादा जिक्र करते हैं जो हमारे पास नहीं होती और स्ट्रेस अनुभव करते हैं जबकि हमें जो बहुत सारी चीज़ें हमारे पास होती हैं उन्हें लेकर प्रसन्न होना चाहिए।

3. अपने आप को व्यस्त रखें: अगर आप स्ट्रेस महसूस कर रहे हों तो अपने आप को किसी न किसी काम में व्यस्त रखें। इस से ये होगा की आप अपनी चिंता के विषय में भूल जायेंगे और आपको ये पता भी नहीं चलेगा कि कितनी जल्दी आपका वक्त बीत जायेगा। जब आप कुछ प्रोडक्टिव करेंगे तो आपको इस से भरपूर खुशी का भी अनुभव होगा।

4. नशीले पदार्थों का सेवन न करें: कुछ लोग स्ट्रेस से डील करने के लिए शराब, सिगरेट का इस्तेमाल करता हैं जो कि बिलकुल भी सही नहीं है। शराब के सेवन से कुछ देर के लिए ये महसूस जरूर हो सकता है की आप चिंता मुक्त हो गए हो, पर जब आप फिर से नॉर्मल स्थिति में आते हो तो वही चिंता आपको और भी गंभीर रूप से परेशान करती है। इसलिए नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।

5. किस ओर को अपने जीवन की डोर ना दें : अपने जीवन को किसी दूसरे से जोड़ कर ना देखें। अपने आप को एक अलग व्यक्ति के रूप में देखें जिसकी स्तिथियां अलग हैं जरूरतें अलग हैं। अपने दिल की सुनें और खुशी को दूसरों से जोड़ने की बजाय अपने अंदर खुशी तलाशें, स्वयं को खुश रखना सीखें और अपनी खुद की कंपनी एंजॉय करें।

6. कर्म करें और फल की चिंता न करें :जैसे की श्री कृष्ण गीता में कहते हैं की इंसान को कर्म करना चाहिए और परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि किसी स्थिति का क्या परिणाम निकल कर आता है ये हमारे हाथ में नहीं होता हैं। ऐसा हर बार नहीं होता हैं की हमें हमारा मनचाहा परिणाम मिले। इसलिए हमें मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए कि परिणाम चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल इसका हमारी मानसिक स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता चाहिए।

7. अच्छा फ्रेंड सर्कल: एक अच्छा फ्रेंड सर्कल जो आपके सुख दुख में आपके साथ खड़ा रहे वे भी आपके तनाव को झट से दूर कर सकता है। पॉजिटिव लोग खुद भी पॉजिटिव रहते हैं और अपने साथ वालों को भी हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। अगर आपके अच्छे दोस्त हैं तो तनाव हमेशा आपसे कोसों दूर रहता है।

आज के युग में इंसान भाग दौड़ में लगा रहता है। बढ़ती प्रतियोगिता के कारण हर इंसान कहीं न कहीं एक तनाव महसूस करता है पर गंभीर स्थिति होने पर ये खतरनाक हो सकता है और मानसिक रोगों को भी जन्म दे सकता है और इसका असर हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इस लिए हमें इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए। इस से हम एक तनाव मुक्त और खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकते हैं।